‘रूबरू रौशनी’
7 मई को सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿ चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ à¤à¤Ÿà¤•à¤² हमारे साथ 'अवेकिन टॉकà¥à¤¸' पर जà¥à¤¡à¤¼à¥€à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿ à¤à¤• फिलà¥à¤® निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾, गीतकार à¤à¤µà¤‚ संशोधक है | उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मशहूर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धारावाहिक ‘सतà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤µ जयते’ में सह-निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• à¤à¤µà¤‚ मूल-अनà¥à¤¸à¤‚धानकरà¥à¤¤à¤¾ की à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¯à¥€à¥¤ उनकी अगली फिलà¥à¤® ‘रूबरू रौशनी’ जो 2019 में रिलीज़ हà¥à¤ˆ थी| इस फिलà¥à¤® में कà¥à¤·à¤®à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की तीन सचà¥à¤šà¥€ कहानियों का आलेख है, जिसके अंतरà¥à¤—त लोगों ने अपने पिता, बचà¥à¤šà¥‡ या किसी अनà¥à¤¯ करीबी परिवार वाले के हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ को कà¥à¤·à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की. फिलà¥à¤® ने बहà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को छà¥à¤† और कà¥à¤·à¤®à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥‡à¤® की तरंगे पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ की| इस टॉक में सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿ ने अपनी जीवन की कहानियाठà¤à¤µà¤‚ कà¥à¤·à¤®à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के कई पहलà¥à¤“ं पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला। हमें बहà¥à¤¤ ख़à¥à¤¶à¥€ है आपसे इस बातचीत के कà¥à¤› मà¥à¤–à¥à¤¯ अंश बांटने में:
सà¥à¤•à¥‚ल और कॉलेज के दिन
- मैंने कई बार सà¥à¤•à¥‚ल बदले | à¤à¤• सà¥à¤•à¥‚ल à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ था जिसमे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को बहà¥à¤¤ सज़ा मिलती थी| आज à¤à¥€ वो याद करती हूठतो à¤à¤¸à¤¾ लगता है की à¤à¤¸à¥‡ सज़ा पाना à¤à¤• दà¥à¤ƒà¤– à¤à¤°à¤¾ अनà¥à¤à¤µ था |
- बचपन का माहौल बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को बहà¥à¤¤ हद तक संवारता है। अगर शांति, सà¥à¤– à¤à¤µà¤‚ मैतà¥à¤°à¥€ का माहौल मिलेगा तो बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ असर होगा | कोई à¤à¥€ कटà¥à¤Ÿà¤°, या खूनी पैदा नहीं होता | धीरे- धीरे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की विचारधारा बनने लगती है |आप शायद जान à¤à¥€ नहीं पाà¤à¤‚गे की आपके साथ à¤à¤¸à¤¾ हो रहा है, या आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किसी मे हिंसातà¥à¤®à¤• विचारधारा जनà¥à¤® ले रही है|
- जब मैं कॉलेज में थी, उस वक़à¥à¤¤ मेरे पिता को किसी गलत मà¥à¤•à¤¼à¤¦à¤®à¥‡ में फसाया गया था. मैं उस दौरान कोरà¥à¤Ÿ-कचहरी के चकà¥à¤•à¤° में लग गयी, और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की कई नठपहलू मेरे सामने आये. वह हमारे परिवार के लिठबहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² वक़à¥à¤¤ था. मेरे à¤à¥€ औरो की तरह कामयाब होने के सपने थे, पर सब कà¥à¤› बिगड़ने लगा था इस समय. हालांकि अपने इस अनà¥à¤à¤µ के कारण मà¥à¤à¤®à¥‡ औरो की पीड़ा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ संवेदनशीलता बढ़ी.
- कॉलेज में अतिथि- वकà¥à¤¤à¤¾ फरà¥à¤¨à¤¾à¤‚डिस के à¤à¤¾à¤·à¤£ से यह सीखा, कि à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ रासà¥à¤¤à¤¾ हो सकता है जो केवल पैसे कमाने से न जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हो, खà¥à¤¦ के करियर से न जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हो। उस à¤à¤¾à¤·à¤£ से आà¤à¤–ें खà¥à¤²à¥€, और समाज के लिठकà¥à¤› करने की इचà¥à¤›à¤¾ जागी | उनका मà¥à¤à¤ªà¤° इतना गहरा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा कि अब मà¥à¤à¥‡ लगता है जब à¤à¥€ मौका मिले तो हमें यà¥à¤µà¤¾à¤“ं से à¤à¤¸à¥€ बातचीत करनी चाहिà¤, हमें परामरà¥à¤¶à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ बनाना चाहिà¤à¥¤
- मेरी पहली नौकरी दिलाने में मेरे दोसà¥à¤¤ ने मदद की और मेरे ऑफ़िस के सहयोगियों ने कैसे काम करना, वो सिखाया। उनकी मदद से मà¥à¤à¥‡ आतà¥à¤®- निरà¥à¤à¤° होने का और खà¥à¤¦ का जà¥à¤¨à¥‚न , उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ के पीछे जाने का मौक़ा मिला।
दà¥à¤¸à¤°à¥‹ के à¤à¤²à¥‡ के लिठनहीं, खà¥à¤¦ के à¤à¤²à¥‡ के लिठकà¥à¤·à¤®à¤¾ करना अचà¥à¤›à¥€ बात है
- माफ़ करना खà¥à¤¦ के लिठअचà¥à¤›à¤¾ है।बाहर की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ पर हम क़ाबू नहीं कर सकते पर हम खà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ पर काम कर सकते हैं। आप अपने अंदर ग़à¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ को लेकर वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ रहना चाहते हैं या जीवन में सà¥à¤–-पूरà¥à¤µà¤• आगे बढ़ना चाहते है?
- “कà¥à¤·à¤®à¤¾ न करके दà¥à¤µà¥‡à¤· में जीते रहना इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° है, जैसे हम ज़हर खà¥à¤¦ पी रहे हैं और उमà¥à¤®à¥€à¤¦ लगाठबैठे है कि मर हमारा दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ जाà¤à¤—ा” रेव. टी डी जेकà¥à¤¸
- कà¥à¤·à¤®à¤¾ का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ à¤à¥à¤²à¤¾ देना नहीं है, बलà¥à¤•à¤¿ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ है की जो आपके साथ हà¥à¤† है उससे रूबरू होना| जो दरà¥à¤¦ हà¥à¤† है, उसे जानना । फिर उस ज़हर को अमृत बनाना है। हर इंसान की अपनी यातà¥à¤°à¤¾ होती है यह जानने, सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ à¤à¤µà¤‚ उसे अमृत में परिवरà¥à¤¤à¤¨ करने की.
- जैसा की मैंने कहा, मà¥à¤à¥‡ नहीं लगता की कोई à¤à¤• जवाब या नà¥à¤¸à¥à¤–ा सà¤à¥€ इंसानों के लिठहो सकता| तो à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ नहीं कहूà¤à¤—ी कि कà¥à¤› à¤à¥€ हो जाà¤, आपको माफ़ करना ही पड़ेगा| मैं बस इतना कहूà¤à¤—ी की अपनी अंदरूनी शांति के पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ को गहराई से देखें à¤à¤µà¤‚ समà¤à¥‡à¤‚|.
हिंसा से किसी को बेहतर बनाना मà¥à¤®à¤•à¤¿à¤¨ नहीं
- घृणा à¤à¤µà¤‚ हिंसा à¤à¤• हमें à¤à¤• दà¥à¤·à¥à¤šà¤•à¥à¤° में ढकेल देते है - "ईंट का जवाब पतà¥à¤¥à¤° से" हमे उस हिंसा की कड़ी से निकलने नहीं देता. लमबे समय से मैं इस सवाल से जूà¤à¤¤à¥€ रही. फिर à¤à¤• दिन मैंने अखबार में à¤à¤• घटना पढ़ी की कैसे à¤à¤• लड़की ने अपने पिता के हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ को कà¥à¤·à¤®à¤¾ किया। उस दिन मà¥à¤à¥‡ समठआया की कà¥à¤·à¤®à¤¾ से इस चकà¥à¤° से निकला जा सकता है. इस बात को लोगो तक पहà¥à¤‚चना मेरे जीवन का à¤à¤• अहमॠकारà¥à¤¯ बना.
- हम हर इंसान पर à¤à¤• लेबल लगा देते हैं। ये इंसान अचà¥à¤›à¤¾ है, ये बà¥à¤°à¤¾ है, ये होशियार है ये बेवकूफ़ है। पर लेबल किसी à¤à¥€ इंसान की पूरी सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ नहीं दिखा सकता |हम सब के à¤à¥€à¤¤à¤° अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ और बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ है | जब ये बात समठआई तो ही खà¥à¤¦ के अंदर की गनà¥à¤¦à¤—ी देख पाई।
- गà¥à¤¨à¤¹à¤—ारों को सजा देने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ से अगर उनमें बदलाव नही आता दिख रहा, तो हमें कोई दूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ सोचना चाहिà¤à¥¤ मेरे पास कोई सरल- सटीक नà¥à¤¸à¥à¤–ा नहीं है ।कोई देवता या कानून नहीं आà¤à¤—ा, जो दे सके à¤à¤¸à¤¾ नà¥à¤¸à¥à¤–ा। हम बातचीत कर सकते हैं। हम à¤à¤¸à¥€ जगह, à¤à¤¸à¤¾ वातावरण, बना सकते हैं, जहाठदोनो पकà¥à¤· आपस में बातचीत कर सकें।
खà¥à¤¦ को कà¥à¤·à¤®à¤¾ करना
- खà¥à¤¦ को कà¥à¤·à¤®à¤¾ करना तो मूल है, इससे आपकी कà¥à¤·à¤®à¤¾ करने की यातà¥à¤°à¤¾ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ होगी।
- कà¥à¤·à¤®à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥‡à¤®, दोनो à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के पूरक है।खà¥à¤¦ को कà¥à¤·à¤®à¤¾ नहीं करते तो खà¥à¤¦ से पà¥à¤¯à¤¾à¤° नहीं कर पाते। खà¥à¤¦ से पà¥à¤¯à¤¾à¤° नहीं कर पाते तो दूसरों से पà¥à¤¯à¤¾à¤° कैसे करेंगे?
मेरी हीलिंग की यातà¥à¤°à¤¾
- जब मैं मायूस होती हूठ, मै सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेती हूठकि मैं इस वक़à¥à¤¤ मायूस हूà¤| उस समय रो लेती हूà¤, दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को कॉल à¤à¥€ कर लेती हूà¤à¥¤ फिर सकारातà¥à¤®à¤• चीजों पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ले जाती हूà¤à¥¤ कहीं न कहीं से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ मà¥à¤ तक पहà¥à¤‚च ही जाती है|
- जिन दो लोगों ने बचपन में मेरा शोषण किया, à¤à¤• की मृतà¥à¤¯à¥ हो गई है और दूसरा वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में हैं| दूसरे को मैंने पतà¥à¤° लिखा “आपके उस करà¥à¤® को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने की कोई उमà¥à¤®à¥€à¤¦ नहीं कर रही हूà¤à¥¤ पर इस बोठसे मैं खà¥à¤¦ को मà¥à¤•à¥à¤¤ कर रही हूà¤à¥¤ मैंने आपको माफ़ किया”। मेरे साथ घटी इस दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾ को मैंने सीढ़ी बनाया, उसके ऊपर चढ़ कर मैंने जीवन में ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया |
- सतà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤µ- जयते में कनà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥à¤°à¥‚ण वाले à¤à¤ªà¤¿à¤¸à¥‹à¤¡ बनाते वक़à¥à¤¤ मैंने जो जो देखा, उसने मà¥à¤à¥‡ à¤à¤•à¤à¥‹à¤° कर रख दिया था | उसके बाद खà¥à¤¦ को सà¥à¤¥à¤¿à¤° करने की आशा से मैं दस दिन के विपसà¥à¤¸à¤¨à¤¾ शिविर में गयी थी| धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥€ या तपसà¥à¤µà¥€ तो बिलकà¥à¤² नहीं, पर कà¤à¥€ जो थोड़ा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगा पाती हूà¤, उसका ज़रूर लाठमिलता है मà¥à¤à¥‡à¥¤
- निजी जीवन में कà¥à¤› बातों की वजह से नकारातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ थी पर लोगों की कहानियों से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ मिली। हम सब का जीवन à¤à¤• कहानी ही तो है। हम पूरे धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से à¤à¤• दूसरे की कहानी सà¥à¤¨à¥‡à¤‚, सारी कहानियों को इकटà¥à¤ ा करें, उन कहानियों से सीख लें तो शायद हमारे कई मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤²à¥‡à¤‚ हल हो सकती हैं। कहानियों में ये ताक़त है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम सब ने अपनी ज़िंदगी में बहà¥à¤¤ कà¥à¤› अनà¥à¤à¤µ किया है। वो अनà¥à¤à¤µ से हम सीख सकते हैं।
- “जखà¥à¤® की जगह से ही पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ à¤à¥€à¤¤à¤° आता है” - रूमी
- उमà¥à¤° और दूसरों के अनà¥à¤à¤µ ने सिखाया कि न खà¥à¤¦ दà¥à¤–ी होना है न दूसरों को दà¥à¤–ी करना है।
मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤¯à¤¾ जिंदादिल बनाता है
- मेरी जीवन में जो ‘पà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤²à¥‡à¤œ’ ( विशेषाधिकार) हैं, मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› मिला है, जैसे मेरी पढ़ाई, या मेरी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾, या कोई साधन, तो उसे समाज को बांटने की कोशिश करती हूà¤à¥¤
- मà¥à¤à¥‡ दूसरों की कहानी में अतà¥à¤¯à¤‚त दिलचसà¥à¤ªà¥€ है। लेकिन मैं लोगो को ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आंकती नहीं, मेरा à¤à¤¸à¤¾ मानना है गà¥à¤¨à¤¾à¤¹ या गलती आपसे, मेरे से, किसी से à¤à¥€ हो सकती है। यह बहà¥à¤¤ हद तक इतà¥à¤¤à¥‡à¤«à¤¼à¤¾à¤• का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ है और à¤à¤• लंबा, पेचीदा मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ है | अगर में कचहरी के जज का चेहरा लेकर बैठूठतो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मेरे से कोई बात करेगा? खà¥à¤¦ को खà¥à¤²à¤¾ रखो तो सामने वाले का लेबल à¤à¥€ हट जाता है, उसके अंदर का इंसान बाहर आ जाता है।
- हम जो ज़िंदगी जीते हैं वो हमारी सबसे बड़ी कहानी है। मेरी ज़िंदगी ही मेरी कहानी है।
बहà¥à¤¤ उदारपूरà¥à¤µà¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿ ने समापन के तौर पर हमसे अपनी पà¥à¤°à¤¿à¤¯ कवि रबिनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर की कà¥à¤› पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ साà¤à¤¾ की “ जोदी तोर डाक सà¥à¤¨à¥‡ केउ ना आसे तोबे à¤à¤•à¤²à¤¾ चलो रे, à¤à¤•à¤²à¤¾ चलो, à¤à¤•à¤²à¤¾ चलो, - à¤à¤•à¤²à¤¾ चलो, à¤à¤•à¤²à¤¾ चलो रे” - à¤à¤²à¥‡ ही कोई आपकी पà¥à¤•à¤¾à¤° न सà¥à¤¨à¥‡, आप चलते रहे. अगर आप अकेले à¤à¥€ पड़ जाà¤, फिर à¤à¥€ चलते रहे, चलते रहे, चलते रहे.
पाठको के चिंतन के लिठपà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ - किसी के गलत वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° को माफ़ करने के à¤à¤¾à¤µ से आपका कà¥à¤¯à¤¾ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है? कà¥à¤¯à¤¾ आप अपने रोजमरà¥à¤°à¤¾ जीवन की à¤à¤• कहानी साà¤à¤¾ कर सकते है जब आपने कà¥à¤·à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की हो या कà¥à¤·à¤®à¤¾ पायी हो? कà¥à¤·à¤®à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ में आपके लिया कà¥à¤¯à¤¾ अनà¥à¤•à¥‚ल है?
Posted by Gulshan Nandwani on May 11, 2020 | permalink
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Ashima Goyal wrote ...
yay!!! our very first Hindi post! :-) Thank you Gulshan bhai!
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Gulshan Nandwani wrote ...
Honestly it is not written by me, I just shared some nuggets from the talk of Swatiji with Paragbhai! But ya, it feels great to see my name on service space website page:))
Thank you so much!
I think I can help in translating this story into English, ,though I haven’t translated anything till now... -
Rohit Rajgarhia wrote ...
Movedbylove is officially now "pyaar se hil gaya."
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Govind Jhawar wrote ...
It was a fantastic talk. Deep Learning !!!!
Nipun Mehta wrote ...
Wah, Hindi!? And Drishti, no worries, I'll help translate for you. :)